मन का ताला खोल रे मनुवां मन का ताला खोल - २
मन मंदिर में विष का प्याला
तामे अमृत घोल
पीके गरल सुधा दे जन को
ह्रदय तराजू तौल रे मनुवां
मन का ताला खोल
यह जग सकल भयंकर सागर
नाविक करत हिंडोल
नर तन चढ़लि भयावनि लागल
जीवन है अनमोल रे मनुवां
मन का ताला खोल
लख चौरासी जनम अमानव
मानुष का यह चोल
बहुत जतन जीवन फल पावल
रट मोहन का बोल रे मनुवां
मन का ताला खोल
मन का ताला खोल रे मनुवां मन का ताला खोल