चेतो रे भाई झूठा यह संसार
झूठी माया झूठी काया
झूठा सब व्यवहार
झूठ भंवर में डूब रहा है
नर तन बारं बार
चेतो रे भाई झूठ यह संसार

पाकर नर तन चोर अभागा
भटकत सौ सौ बार
फिरत सदा कामना सदन में
लेने को उपहार
चेतो रे भाई झूठ यह संसार

माल खजाना सब झूठा है
झूठा सब घर द्वार
झूठ झूठ सब धन दौलत हैं
झूठन का बाज़ार
चेतो रे भाई झूठ यह संसार

मृग तृष्णा के पीच मानव
लपकत है हर बार
मिलत नहीं कछु धन का थैला
धूनत अपन कपार
चेतो रे भाई झूठ यह संसार

माल खजाना स्वप्निल दुनिया
सब कुछ है निस्सार
एक दिन तन पंछी उड़ जैंहे
तब जीवन बेकार
चेतो रे भाई झूठ यह संसार

कह विद्या झूठी माया है
झूठा सब व्यव्हार
झूठ झूठ सारा जग मोहित
कल्पित यह तन सार
चेतो रे भाई झूठ यह संसार